This episode is a rendition of a poem written by Nirmala Singh.
Time and tide as they say, wait for non. Here the poet is reminding us of the same thing. And also advising us to make promises and memories and to tuck them away safely with love. In today’s world, which is in the grip of fear and despondency due to Coronavirus pandemic it is a very relevant poem.
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Lead Image by – Gerd Altmann from Pixabay
यह बहुत ही सुंदर और सच्ची कविता है। लेखक ने समय की सच्चाई को बहुत ही सुन्दर ढंग से दर्शाया है। और श्वेता तुमने इस कविता को सुना कर इसमें चार चांद लगा दिए हैं।
धन्यवाद नितिका, तुम्हारा हिंदी में लिखा कमेंट पढ़ कर बहुत अच्छा लगा। सच यह कविता बहुत ही खूबसूरत है और इस समय के लिये एक दम सटीक। यह जान कर अच्छा लगा की तुम्हें मेरे कविता सुनाने का अंदाज़ पसंद आया।