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माँ का आँचल

न सितारों सा झिलमिलाता

न हीरों से जड़ा

फिर भी अनमोल बड़ा।

 

उसका आँचल आसमाँ सा व्यापक

उस नील नभ की छाया में

बचपन चला

आशाएं अंकुरित हुईं

अभिलाषाएं खिलीं

सपनों को पंख लगे।

 

माँ का आँचल

न शंख-सीपियों से भरा

न ही मोतियों से लदा

फिर भी अनमोल बड़ा।

 

उसका आँचल समुन्दर से गहरा

उसकी अथाह गहराई में

अपना दुःख-दर्द सिरा आई

आंसू देकर मोती पाए

जब उसकी नम हवा ने गाल सहलाया

तो जीवन से आँख मिलाने का साहस पाया।

 

माँ का आँचल

कभी रहा होगा छोटा, कभी बड़ा

कभी खाली रहा होगा, तो कभी भरा

कभी उसे भी आँचल की जरूरत हुई होगी महसूस

पर

मुझे तो वह हमेशा मेरे सर पर ही मिला।

 

माँ का आँचल

न सितारों सा झिलमिलाता

न हीरों से जड़ा

न शंख-सीपियों से भरा

न ही मोतियों से लदा

फिर भी अनमोल बड़।

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